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छठ पूजा 2025 से जुड़े लोकप्रिय प्रश्न

छठ पूजा 2025 से जुड़े लोकप्रिय प्रश्न: हर साल जब छठ पूजा का समय नज़दीक आता है, तो लोगों के मन में कई सवाल उठते हैं, इस बार छठ पूजा कब है? किन तिथियों पर अर्घ्य दिया जाएगा? क्या विदेश में रहकर भी छठ व्रत किया जा सकता है? 

लेकिन जैसा कि आपको पता है जब तक श्री घर आपके साथ है, तब तक आपको रत्ती भर भी घबराने की जरूरत नहीं है। इसलिए चंचल मन को शांत करके इस लेख को अंत तक पढ़े, जिसमे हम कोशिश कर रहे हैं कि आपके मन में उठने वाले सामान्य प्रश्नों के उत्तर दे सके।

नरम हाथों से बस इतना निवेदन है कि आप इन कजरारी आँखों से जब इस लेख को पढ़े तो उसे बस अपने तक सीमित ना रखें दूसरों तक भी शेयर कर दें ताकि लेख का लाभ वो भी उठा सके।

छठ पूजा 2025 में कब है और महत्वपूर्ण तिथियां क्या हैं?

छठ पूजा 2025 का शुभ अवसर इस वर्ष 25 अक्टूबर, शनिवार से 28 अक्टूबर, मंगलवार तक रहेगा। यह चार दिनों तक चलने वाला पर्व है, जो क्रमशः नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य के रूप में मनाया जाता है।

  • 25 अक्टूबर (शनिवार) – नहाय-खाय:
    इस दिन व्रती महिलाएँ और पुरुष स्नान कर घर की शुद्धि करते हैं। लौकी-भात और गुड़ से बना सात्त्विक भोजन ग्रहण किया जाता है। इसे शुद्धता की शुरुआत माना जाता है।
  • 26 अक्टूबर (रविवार) – खरना:
    पूरे दिन निर्जल व्रत रखा जाता है। सूर्यास्त के बाद गुड़, चावल और दूध से बनी खीर का प्रसाद तैयार कर छठ मइया को अर्पित किया जाता है। यही प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती अगले दिन के लिए निर्जल उपवास का संकल्प लेते हैं।
  • 27 अक्टूबर (सोमवार) – संध्या अर्घ्य:
    इस दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। महिलाएँ घाटों या घर की छत पर जल से भरे कलश और दीपक के साथ सूर्यदेव को प्रणाम करती हैं। वातावरण में लोकगीत और मंत्र गूंजते हैं।
  • 28 अक्टूबर (मंगलवार) – उषा अर्घ्य एवं पारण:
    अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है और व्रत का पारण होता है। यह छठ पूजा का सबसे पवित्र क्षण होता है।

क्या छठ पूजा विदेश में भी की जा सकती है?

हाँ, छठ पूजा 2025 अब केवल भारत तक सीमित नहीं रही। जहाँ-जहाँ भारतीय समुदाय बसे हैं, वहाँ यह पर्व समान श्रद्धा से मनाया जाता है। अमेरिका, ब्रिटेन, दुबई, नेपाल, सिंगापुर और मॉरीशस जैसे देशों में लोग स्थानीय नदियों, झीलों या कृत्रिम जलाशयों के किनारे एकत्र होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं।

जहाँ जलस्रोत उपलब्ध नहीं होते, वहाँ श्रद्धालु घर की छत या खुले स्थान पर जल से भरा कलश रखकर सूर्य की आराधना करते हैं। इस पूजा का सार भावनाओं में निहित है, न कि स्थान में। इसलिए विदेश में रहकर भी छठ व्रत पूरी श्रद्धा और विधि से किया जा सकता है।

छठ व्रत के स्वास्थ्य लाभ क्या हैं?

छठ व्रत केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य और विज्ञान दोनों के दृष्टिकोण से अत्यंत लाभदायक माना गया है। छठ पूजा 2025 का पालन करने से शरीर, मन और आत्मा, तीनों का संतुलन बनता है।

छठ व्रत के प्रमुख स्वास्थ्य लाभ:

  1. शरीर की डिटॉक्स प्रक्रिया में सहायता:
    चार दिनों का यह व्रत शरीर को विषमुक्त करता है। हल्का भोजन और निर्जल उपवास पाचन तंत्र को विश्राम देता है, जिससे शरीर शुद्ध होता है।
  2. मानसिक शांति और संयम की वृद्धि:
    लम्बे उपवास और ध्यान की स्थिति मानसिक एकाग्रता और आत्म-नियंत्रण को बढ़ाते हैं। इससे तनाव और चिंता में कमी आती है।
  3. सूर्य ऊर्जा का अवशोषण:
    सूर्योदय और सूर्यास्त के समय अर्घ्य देने से शरीर में सूर्य की किरणें सीधा प्रभाव डालती हैं, जिससे विटामिन D और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  4. श्वसन और रक्तसंचार में सुधार:
    जल में खड़े होकर सूर्य की उपासना करने से शरीर की मुद्रा (posture) सुधरती है, जिससे रक्तसंचार और फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है।
  5. प्राकृतिक जीवनशैली का अनुसरण:
    प्रसाद में फल, ठेकुआ, और सादा भोजन शरीर के लिए पोषक होता है। यह पर्व सादगी और प्राकृतिक जीवन जीने का संदेश देता है।

इस प्रकार छठ पूजा 2025 आध्यात्मिक साधना के साथ-साथ एक प्राकृतिक हीलिंग प्रैक्टिस के समान है, जो शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखती है।

छठ पूजा और अन्य सूर्य उपासना में क्या अंतर है?

भारत में सूर्य की उपासना के अनेक पर्व मनाए जाते हैं, जैसे रथ सप्तमी, मकर संक्रांति, या सूर्य षष्ठी। लेकिन छठ पूजा 2025 की विशिष्टता इन सबसे अलग और गहन है।

छठ पूजा की विशेषताएँ जो इसे अन्य सूर्य उपासनाओं से अलग बनाती हैं:

  1. डूबते और उगते सूर्य दोनों को अर्घ्य:
    अन्य पर्वों में सामान्यतः केवल उगते सूर्य की पूजा की जाती है, पर छठ में डूबते सूर्य को भी धन्यवाद दिया जाता है, जो जीवन के चक्र (आरंभ और अंत) का प्रतीक है।
  2. कोई मध्यस्थ नहीं:
    इस व्रत में कोई पुजारी या मध्यस्थ नहीं होता। व्रती स्वयं सूर्य और छठ मइया की आराधना करते हैं, जिससे यह व्यक्तिगत साधना बन जाती है।
  3. कठोर अनुशासन और पवित्रता:
    चार दिनों तक पालन किए जाने वाले नियम अत्यंत सख्त होते हैं, उपवास, शुद्धता, और वाणी का संयम। यही इसे सबसे कठिन और शक्तिशाली व्रत बनाते हैं।
  4. प्रकृति के तत्वों की उपासना:
    जल, अग्नि (सूर्य), पृथ्वी, वायु और आकाश, पाँचों तत्वों का संतुलन इस पर्व में निहित है। यह सीधे तौर पर पर्यावरण और मानव के संबंध को दर्शाता है।
  5. जनसमूह की एकता और लोकसंस्कृति का उत्सव:
    छठ पूजा केवल पूजा नहीं, बल्कि लोकगीत, पारंपरिक व्यंजन, सामूहिकता और सामाजिक एकजुटता का प्रतीक है।

इन कारणों से छठ पूजा केवल सूर्य उपासना नहीं, बल्कि जीवन दर्शन बन जाती है, जो आत्म-संयम, कृतज्ञता और प्रकृति के प्रति सम्मान सिखाती है।

छठ पूजा 2025 न सिर्फ़ एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह शरीर, मन और आत्मा की एकता का उत्सव है।
इस व्रत की विशेषता इसकी सादगी और अनुशासन में है, जहाँ हर व्यक्ति अपने मन की शुद्धता से सूर्यदेव को धन्यवाद देता है। चाहे आप भारत में हों या विदेश में, छठ पूजा का भाव एक ही रहता है, आस्था, कृतज्ञता और प्रकृति के प्रति सम्मान।

सूर्य की पहली किरण से लेकर अंतिम अर्घ्य तक, यह पर्व हर श्रद्धालु के जीवन में नई ऊर्जा, आशा और उजाला भर देता है। छठ पूजा 2025 को सच्ची भावना और शुद्ध नीयत से मनाएँ, यही इसकी सबसे बड़ी सफलता है।

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जय छठी मैया